सीबीएसई ने डिवीजन और डिस्टिक्शन को दी अलविदा: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने हाल ही में एक बड़ा निर्णय लिया है, जिससे 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं होंगी और भी रोमांचक। इस निर्णय के अनुसार, अब से डिवीजन (श्रेणी) और डिस्टिक्शन (विशेष योग्यता) का कोई स्थान नहीं होगा। सीबीएसई के परीक्षा नियंत्रक संयम भारद्वाज ने इस निर्णय की घोषणा की और बताया कि यह नया कदम छात्रों के लिए एक नई परिप्रेक्ष्य में शिक्षा का माध्यम स्थापित करेगा।
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डिवीजन और डिस्टिक्शन की समाप्ति
सीबीएसई के परीक्षा नियंत्रक ने बताया कि अब से छात्रों को डिवीजन और डिस्टिक्शन की चिंहें प्राप्त नहीं होंगी। इसका मतलब है कि अब छात्रों को केवल अंक प्राप्त किए गए हैं, उनकी प्रतिष्ठा बनेगी, और वे अब अगले स्तर की शिक्षा या रोजगार की दिशा में अग्रसर होंगे।
नया प्रणाली में बदलते दृश्य
इस नए प्रणाली के अनुसार, बोर्ड अब अंक प्रतिशत की गणना नहीं करेगा और न कोई डिवीजन, ना ही डिस्टिक्शन का स्थान रखेगा। छात्रों के परीक्षा परिणाम में कुल प्राप्तांक भी नहीं दिखाए जाएंगे। इससे छात्रों को यहाँ तक समझने में सहारा मिलेगा कि उनके अंकों की एक विशेष श्रेणी में रहने की जरूरत नहीं है और वे अगले कदम की तैयारी में सही रूप से ध्यान दे सकते हैं।
उच्च शिक्षा और रोजगार की दिशा
भारद्वाज ने इस निर्णय को जारी करते हुए बताया कि अगर किसी छात्र ने अधिक से अधिक पाँच विषयों में परीक्षा दी है, तो उसे प्रवेश देने वाला संस्थान या नियोक्ता, उसके सर्वश्रेष्ठ पाँच विषयों को ध्यान में रखते हुए, उच्च शिक्षा या रोजगार के लिए उपयुक्तता का निर्णय कर सकता है।
सफलता की नई कल्पना
इस नए प्रणाली से साफ है कि सीबीएसई ने छात्रों की सफलता को एक नई दृष्टिकोण से देखने का कदम उठाया है। यह निर्णय छात्रों को अच्छे अंक प्राप्त करने के बजाय उच्च शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में अग्रसर होने का मौका देगा। साथ ही, इससे प्रतिभागियों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को भी बढ़ावा मिलेगा।
सीबीएसई के इस निर्णय से जुड़ी विस्तृत जानकारी देने का अधिक समय तक हम इंतजार करेंगे, लेकिन एक बात स्पष्ट है – यह निर्णय छात्रों के भविष्य को सोने में रूपांतरित कर सकता है और उन्हें नई सोच और दिशा देने का साहस कर सकता है। यह नया परिदृश्य हमारे शिक्षा तंत्र के लिए एक सकारात्मक परिवर्तन का संकेत हो सकता है।